IPL 2023 में जोहरी महेंद्र सिंह धोनी ने हीरे की तरह तराशकर टीम इंडिया को दे दिया एक और घातक गेंदबाज, बड़े बड़े बल्लेबाजो को चटा रहा धूल

हर सीजन की तरह आईपीएल 2023 में भी कई युवा खिलाड़ियों ने अपने शानदार खेल का जलवा बिखेरा है और भारतीय क्रिकेट टीम में एंट्री की दावेदारी ठोकी है. इसी के चलते आज हम आपको एक ऐसा गेंदबाज के बारे में बताने वाले है, जोकि इस आईपीएल से पहले एक- एक विकेट लेने के लिए तरसता था. लेकिन वो जैसा ही इस आईपीएल में महेंद्र सिंह धोनी की कप्तानी में पहुंचा, इस खिलाड़ी ने गेंद से तहलका मचाना शुरू कर दिया. बड़े बड़े बल्लेबाज भी इसके सामने नहीं टिक पाए.

जी हां, ये खिलाड़ी कोई और नहीं बल्कि तुषार देश पांडे है, जिनका इस आईपीएल में कमाल देखने को मिला है. इन्होने इस आईपीएल में अब तक CSK के लिए 13 मैच खेले, जिनमे 19 विकेट चटकाए. इस दौरान इस गेंदबाजी की इकॉनमी 9.79 रही और बेस्ट बोल्लिंग फिगर 45/3 रहा. हालंकि, तुषार देशपान्डे यहाँ थोड़े महंगे जरुर साबित हुए लेकिन अब इन्हें टीम इंडिया का भविष्य माना जा रहा है. यदि अब तुषार देशपान्डे अपनी गेंदबाजी पर थोड़ा और काम करे तो ये आने वाले समय में स्टार खिलाड़ी साबित होंगे.

आर्थिक तंगी का किया समाना:-

खैर, आपको बता दे की तुषार देशपान्डे के लिए यहाँ तक पहुंचे का सफर भी कोई आसान नहीं था. इन्हें भी शुरुआत में आर्थिक तंगी जैसी कई बड़ी मुश्किलों का सामना किया, लेकिन इन्होने अपना रास्ता नहीं बदला और क्रिकेट पर ध्यान दिया. जिसका नतीजा आज आपके सामने है, और वो धोनी की कप्तानी में इस आईपीएल के सबसे सफल गेंदबाजो में से एक है. इनकी इस सफलता के पीछे इनके कोच और माता- पिता की भी अहम भूमिका रही है.

दरअसल, 28 वर्षीय तुषार देशपांडे का जन्म 15 May 1995 को मुंबई में हुआ था. इन्होने कल्याण के केसी विद्यालय से अपने क्रिकेट की शुरुआत की. बताया जाता है की जब चौथी क्लास में थे तभी तुषार देशपांडे ने क्रिकेट खेलना शुरु कर दिया था. पढ़ाई के साथ-साथ सुबह-शाम क्रिकेट का अभ्यास किया. मजेदार बात ये थे की तुषार धुप में बैठकर पढना पसंद करते थे, क्योकि वो चाहते थे की मुझे धुप में खेलना है तो उसकी आदत डालनी चाहिए. इसकी जानकारी इनके कोच समानिनी ने दी है.

10वीं के बाद क्रिकेट में करियर बनाने का लिया फैसला:-

तुषार देश पण्डे के कोच के अनुसार, कोरोना के समय लाकडाउन होने की वजह से जब जिम बंद हो गये तब तुषार ने मैदान में ही जिम बनाने का अनुरोध किया. इसके बाद वह अपने खर्चे पर कल्याण के वेल मैदान में जिम के उपकरण लेकर आए. मैदान में आने वाले सभी खिलाड़ियों को इस जिम का इस्तेमाल करने को कहा. वह जब भी कल्याण में होते हैं तो इसी मैदान पर अभ्यास करते हैं.

उस वक्त भी वह उसी जिम का इस्तेमाल कर करते हैं. तुषार के पिता उदय देशपांडे ने बताया की उसने 10वीं के बाद क्रिकेट में करियर बनाने का फैसला किया. किसी भी खिलाड़ी को अपने लिए पांच से छह साल देने होते हैं. स्कूल ने भी उसे प्रोत्साहित किया.

बता दे की तुषार की मां का निधन दो साल पहले ही हुआ है, लेकिन तुषार के कोच की मानें तो संस्कार उन्होंने विरासत में सौंपे. उन्हीं के विचारों के चलते तुषार कामयाब होकर भी जमीनी स्वभाव रखते हैं. सामान्य परिवार का बच्चा जब ऊंचे मुकाम पर पहुंचता है तो बच्चे के पैर जमीन पर रखने का काम बच्चे के मां-बाप करते हैं.

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